ग़लत कहता हैं

ग़लत कहता हैं हर कोई कि संगत का असर होता हैं वो बरसों मेरे साथ रही मगर फिर भी बेवफा निकली|

बढ रहे है

बढ रहे है चाहने वाले मेरे अल्फाज़ों के…., लगता है उस तक बात जरुर पहुँचेगी।

तेरी मुहब्बत में

तेरी मुहब्बत में जो मैं फना हो गया… यही मुझसे सबसे बड़ा गुनाह हो गया !!

तेरे एक-एक लफ्ज़ को

तेरे एक-एक लफ्ज़ को हज़ार मतलब पहनाये हमने… चैन से सोने ना दिया तेरी अधूरी बातों ने…

हम तो फूलों की तरह

हम तो फूलों की तरह अपनी आदत से बेबस हैं , तोड़ने वाले को भी खुशबू की सजा देते है …

जीते हैं इस आश पर

जीते हैं इस आश पर कि एक दिन तुम आओगे ।। मरते इसलिए नहीं कि तुम अकेले रह जाओगे ।।।

अभी तो दिल में

अभी तो दिल में हलकी सी खलिश महसूस होती है… बहुत मुमकिन है कल इसका नाम मुहब्बत हो जाए …

सुनो जरा फिर से

सुनो जरा फिर से याद आ जाओ ना ..! कुछ आँसुओ ने अर्ज़ी दी है रिहाई की ..

तमाम रात सहर की

तमाम रात सहर की दुआएँ माँगी थीं खुली जो आँख तो सूरज हमारे सर पर था |

ग़म-ए-दुनिया

ग़म-ए-दुनिया भी ग़म-ए-यार में शामिल कर लो नशा बढ़ता है शराबें जो शराबों में मिलें |

Exit mobile version