धडकनों को कुछ

धडकनों को कुछ तो काबू में कर ए दिल अभी तो पलकें झुकाई है मुस्कुराना अभी बाकी है उनका..

मैं कुछ कहूँ

मैं कुछ कहूँ और तेरा……… जिक्र न आये उफ़्फ़…… ये तो तौहीन होगी तेरे फरेब की..

खफा होने का असर

तेरा मुझसे खफा होने का असर कुछ युँ हुआ मुझपर, मुझे खुद से ही खफा रहने की आदत सी हो गई..!

जीना मुहाल था

जिनके बिना इक दिन कभी जीना मुहाल था ता’ज्जुब है कि अब उनकी याद तक नहीं आती

सोया हो रात भर

सूरज भी लगे जैसे न सोया हो रात भर ख़ुद रात भी – अब देर रात तक नहीं आती

बात ये है

बात ये है कि कभी कहा था “जबसे मेरा अफ़साना शहर में हुआ है आम लोगों को नींद देर रात तक नहीं आती”

दरिया में जाए

झरे दिन जैसे मुट्ठी रेत की, या उमर-मछली फिसल दरिया में जाए

उम्र तय है ?

मुहब्बत की भी कोई उम्र तय है? अगर अब है तो फिर आए-न-आए!

जिन्दा न हो जाऊं

तू गलती से भी कन्धा न देना मेरे जनाजे को ऐ दोस्त…. कहीं फिर जिन्दा न हो जाऊं तेरा सहारा देखकर.!

सबसे बड़ा अपराध

जीवन का सबसे बड़ा अपराध – किसी की आँख में आंसू आपकी वजह से होना। और जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि – किसी की आँख में आंसू आपके लिए होना।

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