जब हौसला बना लिया

जब हौसला बना लिया ऊँची उड़ान का… फिर देखना फिज़ूल है कद आसमान का…!

कैंसे यकीन करूँ

कातिल भी तुम्हीं हो मुंसिफ भी तुम्हीं हो कैंसे यकीन करूँ फैसला मेरे हक़ मैं आएगा

वक्त रूबरू करवाता है

वक्त रूबरू करवाता है… कभी खुद से….तो कभी सब से…!

न भूलेगा ज़माना

उन्हें सदियों न भूलेगा ज़माना यहाँ जो हादसे कल हो गए हैं

ख्याल-ए-यार

ख्याल-ए-यार है या कि तस्सुवर-ए-खुदा बेखुदी में तो हम से ये फर्क नहीं होता

मेरे होंटों पे

मेरे होंटों पे तेरे नाम की लर्ज़िश तो नहीं ये जो आँखों में चमक है कोई ख़्वाहिश तो नहीं…

एक सफ़र

एक सफ़र हमने ज़िंदगी का ऐसा भी किया पांव की जगह दिल को ही दुखा दिया…

ख़फा होता है

ख़फा होता है जो, वो ही अपनी दौलत है बाक़ी तो सजावटी लिफाफे अक़सर ख़ाली ही होते हैं

लाख बढ़ाया हौसला

आँधियों ने लाख बढ़ाया हौसला धूल का… दो बूँद बारिश ने औकात बता दी

बहुत पानी बरसता है

बहुत पानी बरसता है तो मिट्टी बैठ जाती है न रोया कर बहुत रोने से छाती बैठ जाती है यही मौसम था जब छत पर टहलते थे यही मौसम है अब सीने में सर्दी बैठ जाती है चलो माना कि शहनाई मोहब्बत की निशानी है मगर वो शख़्स जिसकी आ के बेटी बैठ जाती है… Continue reading बहुत पानी बरसता है

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