पुरानी होकर भी

पुरानी होकर भी खाश होती जा रही है, मोहब्बत बेशरम है, बेहिसाब होती जा रही है..

कुछ इस क़दर

कुछ इस क़दर दिलशिकन थे मुहब्बत के हादसे। हम ज़िन्दगी से फिर कोई शिकवा न कर सके।।

मैं अगर खत्म भी हो जाऊँ

मैं अगर खत्म भी हो जाऊँ इस साल की तरह… तुम मेरे बाद भी संवरते रहना नए साल की तरह…!!!

कितना खुशनुमा होगा

कितना खुशनुमा होगा वो मेरे इँतज़ार का मंजर भी… जब ठुकराने वाले मुझे फिर से पाने के लिये आँसु बहायेंगे…!!!

कुछ कदम जो

कुछ कदम जो साथ चल रहे थे, दरअसल वो चल नहीं छल रहे थे !!

बहुत करवाती है

बहुत करवाती है इन्तजार वो और जब मिलने का समय आता है खफा हो जाती है

तलाश-ए-यार में

तलाश-ए-यार में उड़ता हुआ ग़ुबार हूँ मैं …!! पड़ी है लाश मेरी और क़ब्र से फ़रार हू मैं …!

लफ्जों में जाहिर करूं

लफ्जों में जाहिर करूं तो मेरी ख़्वाहिश की तौहीन होगी, तू मेरी रूह में उतर के समझ ले मेरी हसरतों को

सिक्के हमारे हिसाब से

खरीद लेंगे सबकी सारी उदासियाँ, दोस्तों… सिक्के हमारे हिसाब से, चलने लगेंगे जब…!!!

चाहिए क्या तुम्हे तोहफे में

चाहिए क्या तुम्हे तोहफे में बता दो वरना हम तो बाजार के बाजार उठा लाएंगे|

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