ज़ुल्म इतना ना कर की लोग कहेँ तुझे दुश्मन मेरा.. हमने ज़माने को तुझे अपनी जान बता रखा है..
Category: Love Shayri
मेरी चादर तो
मेरी चादर तो छिनी थी शाम की तनहाई में, बेरिदाई को मेरी फिर दे गया तशहीर कौन…
अभी तो साथ चलना है
अभी तो साथ चलना है समंदरों की लहरों मॆं… किनारे पर ही देखेंगे… किनारा कौन करता है?
कुछ भी नहीं
कुछ भी नहीं है बाक़ी बाज़ार चल रहा है, ये कारोबार-ए-दुनिया बेकार चल रहा है|
बहुत ही खूबसूरत
बहुत ही खूबसूरत होती है एक तरफ़ा मोहब्बत ना ही कोई शिकायत होती है और ना ही कोई बेवफ़ा कहलाता है|
सोच रहा हूँ
सोच रहा हूँ कि लिखूं कुछ ऐसा आज जिसे पढ़, वो रोये भी ना और, रात भर सोये भी ना..
बिन बात के ही
बिन बात के ही रूठने की आदत है, किसी अपने का साथ पाने की चाहत है. . . आप खुश रहें, मेरा क्या है, मैं तो आइना हूँ, मुझे तो टूटने की आदत है. . .
कैसे करें हम खुद को
कैसे करें हम खुद को तेरे प्यार के क़ाबिल! जब हम आदतें बदलते हैं,तो तुम शर्तें बदल देते हो|
मैंने पूछा एक पल में
मैंने पूछा एक पल में जान कैसे निकलती है, उसने चलते चलते मेरा हाथ छोड़ दिया..
वो जब अपने हाथों की
वो जब अपने हाथों की लकीरों में मेरा नाम ढूँढ कर थक गये सर झुकाकर बोले, लकीरें झूठ बोलती है तुम सिर्फ़ मेरे हों……….