किसके सर डाले इल्जाम

किसके सर डाले इल्जाम मौत ए मासुमियत का शौक भी तो हमे ही था समझदार होने का

हम मिल गये है

चलो ना….. जी ले कुछ इस कदर, कि लगे जैसे…. जिन्दगी हमे नहीं, जिन्दगी को हम मिल गये है..

उमर बीत गई

उमर बीत गई पर एक जरा सी बात समझ में नहीं आई हो जाए जिनसे महोब्बत, वो लोग कदर क्यूं नहीं करते |

फरक उसकी नजरोँ में

आ गया फरक उसकी नजरोँ में यकीनन, अब वो हमें ‘खास अदांज’ से ‘नजर अदांज करते हैं..!!

देखा हुआ सा कुछ

देखा हुआ सा कुछ है तो सोचा हुआ सा कुछ हर वक़्त मेरे साथ है उलझा हुआ सा कुछ..!!

सच्ची क्यों ना हो

मोहब्बत कितनी भी सच्ची क्यों ना हो, एक ना एक दिन तो आंसू और दर्द ज़रूर देती है..!!

मनाना भुल गये है

नाराज है वो नाराज ही रहने दो, अब हम भी,मनाना भुल गये है..!!

महकीं हुई रात

आज फिर चाँद की पेशानी से उठता है धुआँ आज फिर महकीं हुई रात में जलना होगा ।

अच्छा बनने की हसरत

अच्छा बनने की हसरत सी जागी है मुझमें मेरे मालिक, जबसे सुना है आप अच्छे लोगो को जल्दी बुला लेते हो.

दूर ना कर मुझे

अपनी नज़दीकियों से दूर ना कर मुझे…,। मेरे पास जीने की वजहें बहुत कम है…।

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