काफी दिनों से

काफी दिनों से, कोई नया जख्म नहीं मिला; पता तो करो.. “अपने” हैं कहां ?

कुछ कहूँ उनसे

कुछ कहूँ उनसे मगर ये ख़्याल होता है…. शिकायतों का नतीज़ा मलाल होता है।।

महफ़िलें सजती होंगी

महफ़िलें सजती होंगी बेशक तुम्हारे दर मगर, महफ़िलों में हम नहीं है,ग़म नहीं है अब मगर…

अगर दो लोग

अगर दो लोग लड़कर भी एक दुसरे के साथ रहते है…. तो उसका मतलब ये हुआ की दोनों बहोत प्यार करते है|

मायूस हो गया हूँ

मायूस हो गया हूँ जिंदगी के सफर से इस कदर… कि ना खुद से मिल पा रहा हूँ ना मंजिल से|

अब उस खुदा से

अब उस खुदा से भी अब शिकायत नहीं , क्या करूँ शिकायत , जब तुझे उसने मेरे हाथों में लिखा ही नही|

इतनी ख़ामोशी से

इतनी ख़ामोशी से गुज़र रही है ज़िंदगी अब, की मेरी धड़कनों को भी नहीं पता कि दिल रो रहा है|

गम की परछाईयाँ

गम की परछाईयाँ यार की रुसवाईयाँ, वाह रे मुहोब्बत ! तेरे ही दर्द और तेरी ही दवाईयां |

मोहब्बत का असर

मोहब्बत का असर मुझ से मत पूछ ऎ हमराह , तेरे बग़ैर भी हम उम्र भर तेरे रहेगें|

तू लाख दुआ कर

तू लाख दुआ कर ले मुझसे दूर जाने की…. मेरी दुआ भी उसी खुदा से है तुझे करीब लाने की…..

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