तुम रख ही ना सकीं मेरा तोफहा सम्भालकर मैंने दी थी तुम्हे,जिस्म से रूह निकालकर|
Category: Love Shayri
फासलों से अगर..
फासलों से अगर.. मुस्कुराहट लौट आये तुम्हारी… तो तुम्हे हक़ है.. कि तुम… दूरियां बना लो मुझसे….
अपनों के बीच
अपनों के बीच, गैरो की याद नहीं आती। और गैरो के बीच, कुछ अपने याद आते हैं।
मेरी तड़प तो
मेरी तड़प तो कुछ भी नहीं है,सुना है उसके दीदार के लिए आईने तरसते है…
लिखना है मुझे
लिखना है मुझे भी,कुछ गहरा सा……जिसे कोई भी पढे, समझ बस तुम सको .
क्यूँ देखते हो
क्यूँ देखते हो बार बार मेरा लास्ट सीन प्यार करते हो या जासूसी..??
दिल का हर घाव
दिल का हर घाव भरने लगता है तेरी आवाज़ है कि मरहम है|
नींद तो अब भी
नींद तो अब भी बहुत आती है मगर… . समझा बुझा के मुझे उठा देती हैं ज़िम्मेदारियां…!
तज़ुर्बा मेरा लिखने का
तज़ुर्बा मेरा लिखने का बस इतना सा है मैं सुनता हूँ वाह वाह अपनी ही तबाही पर |
उम्र भर धुप लपेटे रहे
उम्र भर धुप लपेटे रहे तन से अपने.., हमसे पहनी ना गयी उसकी उतारी हुई शाम …!!