अब तो पत्थर भी

अब तो पत्थर भी बचने लगे है मुझसे, कहते है अब तो ठोकर खाना छोड़ दे !

बड़ा गजब किरदार है

बड़ा गजब किरदार है मोहब्बत का, अधूरी हो सकती है मगर ख़तम नहीं…

सभी ज़िंदगी के मज़े

सभी ज़िंदगी के मज़े लूटते हैं,,, न आया हमें ये हुनर ज़िंदगी भर…

अक्सर ये सवाल करती है…

मेरी मुहब्बत अक्सर ये सवाल करती है… जिनके दिल ही नहीं उनसे ही दिल लगाते क्यूँ हो…

नींदों ही नींदों में

नींदों ही नींदों में उछल पड़ता है, रात के अँधियारे में चल पड़ता है! मन से है वो बड़ा ही नटखट चंचल, जिस किसी को देखा मचल पड़ता है! ऐ नींद ! ज़रा देर से आया करो, रात को भी काम में खलल पड़ता है! कभी रहते थे जहाँ राजा-रानियाँ, वहाँ जालों से अटा महल… Continue reading नींदों ही नींदों में

घोलकर जहर खुद ही

घोलकर जहर खुद ही हवाओं में हर शख्स मुँह छुपाए घूम रहा है|

मेरी एक छोटी सी

मेरी एक छोटी सी बात मान लो, लंबा सफर है हाथ थाम लो…

बेजुबाँ महफिल में

बेजुबाँ महफिल में शोर होने लगा, ना जाने कौन पढ़ गया खामोशी मेरी !!

खुबसूरत क्या कह दिया उनको

खुबसूरत क्या कह दिया उनको, के वो हमको छोड़कर शीशे के हो गए तराशा नहीं था तो पत्थर थे, तराश दिया तो खुदा हो गए|

अपनी चाहतों का हिसाब

मैं अपनी चाहतों का हिसाब करने जो बेठ जाऊ तुम तो सिर्फ मेरा याद करना भी ना लोटा सकोगे …

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