जीब लहजे में

जीब लहजे में पूछी थी खैरियत उसने…जवाब देने से पहले छलक गई आँखें मेरी…

नज़र बन के कुछ

नज़र बन के कुछ इस क़दर मुझको लग जाओ..!! कोई पीर की फूँक न पूजा न मन्तर काम आये….!!!!

उन्होंने बहुत कोशिश की

उन्होंने बहुत कोशिश की, मुझे मिट्टी में दबाने की लेकिन उन्हें मालूम नहीं था कि मैं “बीज” हूँ…..

शुक्र है ख़्वाबों ने

शुक्र है ख़्वाबों ने रात सम्भाली हुई है वरना.. नींद किसी काम की नहीं यारों ..

जोड़ियां आसमान से

जोड़ियां आसमान से बनकर आती है। मतलब काम तो ढंग से वहां भी नहीं होता ।।

इन्सान ज़िन्दगी में

इन्सान ज़िन्दगी में सिर्फ एक बार ही मोहब्बत करता है …. बाकी की मोहबत्तें वो पहली मोहब्बत भुलाने के लिए करता है।

मुहब्बत में झुकना

मुहब्बत में झुकना कोई अजीब बात नहीं है, . चमकता सूरज भी तो ढल जाता है चाँद के लिए…

इम्तेहान तेरी तवज्जो का

इम्तेहान तेरी तवज्जो का है अब ऐ शाकी हम तो अब ये भी न बतायेंगे की हम प्यासे हैं

रोज़ आते है

रोज़ आते है बादल अब्र ए रहेमत लेकर…! मेरे शहर के आमाल उन्हे बरसने नही देते..

जो जिंदगी थी

जो जिंदगी थी मेरी जान..!तेरे साथ गई बस अब तू उम्र के नक़्शे में वक़्त भरना.!

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