ये भी क्या सवाल हुआ कि इश्क़ कितना चाहिए, . दिल तो बच्चे की तरह है मुझे थोड़ा नहीं सब चाहिए !!
Category: Love Shayri
तेरे हर ग़म को
तेरे हर ग़म को अपनी रूह में उतार लूँ; ज़िन्दगी अपनी तेरी चाहत में संवार लूँ; मुलाक़ात हो तुझसे कुछ इस तरह मेरी; सारी उम्र बस एक मुलाक़ात में गुज़ार लूँ।
आ थक के कभी
आ थक के कभी और, पास मेरे बैठ तू हमदम . . . तू खुद को मुसाफ़िर, मुझे दीवार समझ ले ।
अक्ल बारीक हुई
अक्ल बारीक हुई जाती है, रूह तारीक हुई जाती है।
हमारे बिन अधूरे तुम
हमारे बिन अधूरे तुम रहोगे, कभी चाहा था किसी ने,तुम ये खुद कहोगे..
अगर मालूम होता
अगर मालूम होता की इतना तडपता है इश्क, तो दिल जोड़ने से पहले हाथ जोड़ लेते..
हो सके तो
हो सके तो दिलों में रहना सीखो, गुरुर में तो हर कोई रहता है…
न रुकी वक्त की गर्दिश
न रुकी वक्त की गर्दिश और न जमाना बदला, पेड़ सुखा तो परिंदों ने ठिकाना बदला !!
सियाही फैल गयी
सियाही फैल गयी पहले, फिर लफ्ज़ गले, और एक एक कर के डूब गए..
ये भी क्या सवाल हुआ
ये भी क्या सवाल हुआ कि इश्क़ कितना चाहिए, .दिल तो बच्चे की तरह है मुझे थोड़ा नहीं सब चाहिए !!