इंतज़ार की आरज़ू

इंतज़ार की आरज़ू अब खो गयी है, खामोशियो की आदत हो गयी है, न सीकवा रहा न शिकायत किसी से, अगर है तो एक मोहब्बत, जो इन तन्हाइयों से हो गई है..!

बरसों पुराना ये खँडर

जिस्म का बरसों पुराना ये खँडर गिर जाएगा, आँधियों का ज़ोर कहता है शजर गिर जाएगा ! हम तवक़्क़ो से ज़ियादा सख़्त-जाँ साबित हुए, वो समझता था कि पत्थर से समर गिर जाएगा ! अब मुनासिब है कि तुम काँटों को दामन सौंप दो, फूल तो ख़ुद ही किसी दिन सूखकर गिर जाएगा !

सितम याद आए

जब भी ग़ैरों की इनायत देखी हम को अपनों के सितम याद आए |

इन मासूम निगाहों को

इन मासूम निगाहों को पहचानती तो होगी न तुम.!! !!.अब इनमे दर्द और अश्कों की वजह सिर्फ तुम हो..

खींचो न कमानों को

खींचो न कमानों को,न तलवार निकालो, ग़र दुश्मन हो मुकाबिल तो अखबार निकालो।

बड़ी नादान है

बड़ी नादान है इस निकम्मे दिल की.. हरकतें जो मिल गया उसकी कदर ही नहीं, और जो ना मिला उसे भूलता नहीं

एक हमसफर वो होता है

एक हमसफर वो होता है जो पूरी जिंदगी साथ निभाये , और एक हमसफर वो जो चंद लम्हो में पूरी जिंदगी दे जाये|

लो खत्म हुई

लो खत्म हुई रंग-ऐ-गुलाल की शोखियां चलो यारो फिर बेरंग दुनिया में लौट चले।

दूर हो जाने की तलब

दूर हो जाने की तलब है तो शौक से जा बस याद रहे की मुड़कर देखने की आदत इधर भी नही|

कभी इतना मत मुस्कुराना

कभी इतना मत मुस्कुराना की नजर लग जाए जमाने की, हर आँख मेरी तरह मोहब्बत की नही होती….!!!

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