जिंदगी जब तुझको समझा

जिंदगी जब तुझको समझा, मौत फिर क्या चीज है ऐ वतन तू हीं बता, तुझसे बड़ी क्या चीज है|

इश्क लिखना चाहा तो

इश्क लिखना चाहा तो कलम भी टूट गयी ये कहकर अगर लिखने से इश्क मिलता तो आज इश्क से जुदा होकर कोई टूटता नही…

बाँध लूं हाथ में

बाँध लूं हाथ में, या सीने से लगा लूँ तुम को, दिल में आता है कि ताबीज बना लूं तुम को !!!

इंतज़ार है हमे

इंतज़ार है हमे आपके आने का, वो नज़रे मिला के नज़रे चुराने का, मत पूछ ए-सनम दिल का आलम क्या है, इंतज़ारा है बस तुझमे सिमट जाने का…

सिर्फ मेरी लगती है

तू मुझे अच्छी या बुरी नहीं लगती तू मुझे सिर्फ मेरी लगती है ।

वो जब अपने हाथो की

वो जब अपने हाथो की लकीरों में मेरा नाम ढूंढ कर थक गये, सर झुकाकर बोले, लकीरें झूठ बोलती है तुम सिर्फ मेरे हो..

मेरे दिल में

मेरे दिल में अपनी मौजूदगी का एहसास तो करके देखो तुम्हें मुझमें सिर्फ तुम ही तुम मिलोगे ।

आसान नही है

आसान नही है हमसे यूँ शायिरयों में जीत पाना, हम हर एक शब्द मोहब्बत में हार कर लिखते हैं..

कोई मरता रहा

कोई मरता रहा बात करने को.. किसी को परवाह तक नहीं|

तरीके तो बहुत थे

तरीके तो बहुत थे खुदखुशी के… ना जाने हम सबने मोहब्बत ही क्यों चुनी…

Exit mobile version