उस खुशी का हिसाब कैसे हो… तुम जो पूछ लो “जनाब कैसे हो””
Category: Hindi Shayri
जरा सँभलकर चलना
मिज़ाज बदलते रहते हैं हर पल लोगों के यहाँ ये मिज़ाजों का शहर है जरा सँभलकर चलना
समझ रहा हुँ
खामोश रहता हुँ क्योकि अभी दुनिया को समझ रहा हुँ! समय जरूर लुगाँ पर जिस दिन दाव खेलुँगा उस दिन खिलाङी भी मेरे होगे और खेल भी मेरा !!!
ताल्लुक हो तो
ताल्लुक हो तो रूह से रूह का हो … दिल तो अकसर एक दूसरे से भर जाया करते है
पहचानती तो है…
हमेँ देख कर उसने,मुह मोड लिया…… ,,,,, तसल्ली सी हो गयी,,कि चलो,पहचानती तो है…..
डोर से बाँधा जाए
जरुरी तो नहीँ हर रिश्ते को नाम की डोर से बाँधा जाए, बाँधे गए रिश्ते अक्सर टूट जाते हैँ..!!!
मेरी दुल्हन बनकर
जिस दिन तूम आओगी मेरे घर मेरी दुल्हन बनकर उस दिन को मै मनाऊ गा नए साल की तरह
तुम्हारे चेहरे को
कैद कर के तुम्हारे चेहरे को, मेरी आँखों ने खुदकुशी कर ली
धड़कन तो इसे
अगर रुक जाये धड़कन तो इसे मौत न समझना…. अक्सर होता है ऐसा तुझे याद करते-करते….
प्रवचन देता है
आदमी सुनता है मन भर’. सुनने के बाद प्रवचन देता है टन भर; और खुद ग्रहण नही करता कणभर।