ख़ुदकुशी लिखी थी एक बेवा के चेहरे पर मगर फिर वो ज़िंदा हो गयी बच्चा बिलकता देख कर
Category: Heart Touching Shayri
आज तेरे दिल से
हम जैसे बर्बाद दिलों का क्या जीना और क्या ‘मरना’.. आज तेरे दिल से निकले है; कल इस दुनिया से निकल जायेंगे..!
दीवारे रोती रहती है
कल रात अपने सारे दुःख कमरे की दीवारों से कह डाले.. अब मैं सोता रहता हूँ और दीवारे रोती रहती है
खाते हुए देखा मैने
रूखी रोटी को भी बाँट के खाते हुए देखा मैने… सड़क किनारे का वो भिखारी शहंशाहों से भी अम़ीर निकला……..
ज़रा चमकता है
हर ज़रा चमकता है परवर दिगार से हर साँस ये कहती है हम हैं तो ख़ुदा भी हे
वो किसी का
एहसान वो किसी का लेते नहीं, मेरा भी चुका दिया, जितना भी खाया था नमक, मेरे ज़ख्मो पे लगा दिया…!!
कोई नष्ट नहीं कर सकता
लोहे को कोई नष्ट नहीं कर सकता, बस उसका जंग उसे नष्ट करता है। इसी तरह आदमी को भी कोई और नहीं बल्कि उसकी नकारात्मक सोच ही नष्ट करती है।
हजारों जख्म है
नमक तुम हाथ में लेकर, सितमगर सोचते क्या हो, हजारों जख्म है दिल पर, जहाँ चाहो छिड़क डालो..
किसी और से
तुम किसी और से मालूम तो करके देखो,.. हम किसी ओर के कितने है और तुम्हारे कितने!!!
दिन जो गुज़रे
वो दिन जो गुज़रे तेरे साथ.. काश ज़िन्दगी उतनी ही होती.!! मुझें छोड़कर वो खुश हैं …तो शिकायत कैसी, अब मैं उन्हें खुश भी न देखूं तो मोहब्बत कैसी ?