रूखी रोटी को भी बाँट के खाते हुए देखा मैने…
सड़क किनारे का वो भिखारी शहंशाहों से भी अम़ीर निकला……..
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
रूखी रोटी को भी बाँट के खाते हुए देखा मैने…
सड़क किनारे का वो भिखारी शहंशाहों से भी अम़ीर निकला……..