जमाना तो बड़े शोख से सुन रहा था हमी सो गए दास्ता कहेते कहेते
Category: हिंदी
चाँद का अंदाज़
कितनी मुश्किलों से…..फलक पर नजर आता है. ईद के चाँद का अंदाज़…..बिलकुल तुम्हारे जैसा है….
वो खुद ही ना
वो खुद ही ना छुपा शके अपने चेहरे को नकाब मेँ….., बेवजह हमारी आँखो पे इल्जाम लगा दिया….!!!
यहीं उतार चले…
ये जिस्म क्या है कोई पैरहन उधार का है यहीं संभाल कर पहना यहीं उतार चले…
बिन सलाखों के
क़ैदखाने हैं, बिन सलाखों के, कुछ यूँ चर्चे हैं, उनकी आँखों के…
किसी भी मोड़ पर
किसी भी मोड़ पर अगर हम बुरे लगें तो, दुनिया को बताने से पहले हमें बता देना…
हर एक लफ्ज़ का
हर एक लफ्ज़ का अंदाज बदल रखा है, इसलिए हमने तेरा नाम गज़ल रखा है…॥
पढ़ने वालों की
पढ़ने वालों की कमी हो गयी है आज इस ज़माने में, नहीं तो गिरता हुआ एक-एक आँसू पूरी किताब है…!!
वो जो दो पल थे
वो जो दो पल थे, तेरी और मेरी मुस्कान के बीच। बस वहीँ कहीं, इश्क़ ने जगह बना ली
हमारे महफिल में
हमारे महफिल में लोग बिन बुलाये आते है क्यू की यहाँ स्वागत में फूल नहीं दिल बिछाये जाते है