रिश्वतो के सिलसिले

चल रहे है जमाने में रिश्वतो के सिलसिले; तुम भी कुछ ले-दे कर, मुझसे मोहब्बत कर लो….

जिन्दगी को इतनी

जिन्दगी को इतनी सीरियस लेने की जरुरत नहीं यारो यहाँ से कोई जिन्दा बचकर नहीं जायेगा

 मैंने ख़ामोशी को लफ्ज़ दिए

मैंने ख़ामोशी को लफ्ज़ दिए तुमने लफ़्ज़ों को भी खामोश कर दिया

जुदाई हो अगर

जुदाई हो अगर लम्बी तो अपने रूठ जाते हैं…. बहुत ज्यादा परखने से भी रिश्ते टूट जाते हैं…

नींद भी नीलाम हो

नींद भी नीलाम हो जाती है बाज़ार -ए- इश्क में, किसी को भूल कर सो जाना, आसान नहीं होता !

जाने क्यों गुरुर है

जाने क्यों गुरुर है उसे हुस्न पर अपने..!! लगता है उसका… आधार कार्ड अभी बना नही

देख जिँदगी तू

देख जिँदगी तू हमे रुलाना छोड दे अगर हम खफा हूऐ तो तूझे छोड देँगे…!!!

सुन कर ग़ज़ल

सुन कर ग़ज़ल मेरी, वो अंदाज़ बदल कर बोले, कोई छीनो कलम इससे, ये तो जान ले रहा है..

ज़िंदगी तो किसी

ज़िंदगी तो किसी और की बक्शी हुई अमानत है….. हम तो बस सांसों की रस्म अदा करते हैं….

धोखा देने के लिए

धोखा देने के लिए शुक्रिया पगली, तुम ना मिलती तो दुनिया समझ में ना आती..

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