“ये इक दिन मौत से सौदा करेगी, जरा…होशियार रहना ज़िंदगी से”..
Category: शर्म शायरी
छोटे से जख्म
वक़्त नूर को बेनूर बना देता है! छोटे से जख्म को नासूर बना देता है! कौन चाहता है अपनों से दूर रहना पर वक़्त सबको मजबूर बना देता है!
विश्वास भी सिर्फ तुम
तुम क्या जानो कहाँ हो तुम मेरे दिल में मेरी हर धड़कन में हर निगाह जो दूर तलाक जाती है हर आशा जो पूरा होना चाहती है तुम क्या जानो क्या हो तुम मेरे लिए मेरी हर पल की आस मेरा विश्वास ज़िन्दगी की बैचेन घड़ियों में जिन्दा रहने को पुकारती हुई तुम मेरे करीब….हर… Continue reading विश्वास भी सिर्फ तुम
बड़ी तकात है
“भरोसा” बहुत बड़ी तकात है पर यह यू ही नही काम आती है खुद पर रखो तो “ताकत” और दुसरो पर रखो तो “कमजोरी” बन जाती है ।
शायरी करोगे जनाब
मेरे दर्द का जरा सा हिस्सा लेकर देखो। सदियो तक शायरी करोगे जनाब।
लगता चला गया
दिल भी न जाने किस किस तरह ठगता चला गया…. कोई अच्छा लगा और बस लगता चला गया…………
याद मत आओ
खनक उठें न पलकों पर कहीं जलते हुए आँसू,, तुम इतना याद मत आओ के सन्नाटा दुहाई दे..!
तुमको ना रोकेंगे
मेरी बेचैन उमंगो को बहलाकर चले जाना, हम तुमको ना रोकेंगे बस आकर चले जाना…
धागे की तरह
मुझे तेरे ये कच्चे रिश्ते जरा भी पसंद नहीं आते.., या तो लोहे की तरह जोड़ दे,या फिर धागे की तरह तोड़ दे..!!
मस्जिद के सामने
हसीना ने मस्जिद के सामने घर क्या खरीदा, पल भर में सारा शहर नमाज़ी हो गया…!