उसको मिलने से पहले

उसको मिलने से पहले कहीं बार सोचा था, उस से मिलने के बाद कहीं बार सोचा हैं। वो जो मिलती हैं मुझे, मुझे मिल क्यूँ नही जाती..??

जो आपके इंतज़ार में गुज़रती है

जो आपके इंतज़ार में गुज़रती है,बहुत मसरुफ़ होने पर भी वो फ़ुरसत कम नही होती……

हर एक बात को चुप-चाप क्यूँ

हर एक बात को चुप-चाप क्यूँ सुना जाए कभी तो हौसला कर के नहीं कहा जाए तुम्हारा घर भी इसी शहर के हिसार में है लगी है आग कहाँ क्यूँ पता किया जाए जुदा है हीर से राँझा कई ज़मानों से नए सिरे से कहानी को फिर लिखा जाए कहा गया है सितारों को छूना… Continue reading हर एक बात को चुप-चाप क्यूँ

हमने कब कहा कीमत समझो

हमने कब कहा कीमत समझो तुम मेरी… , हमें बिकना ही होता तो यूँ तन्हा ना होते…. …… ……….

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