मुस्कुराहटें झूठी भी हुआ करती हैं, यारों, इंसान को देखना नहीं बस समझना सीखो…
Category: वक़्त शायरी
जिस समय हम
जिस समय हम किसी का ‘अपमान ‘ कर रहे होते हैं, दरअसल, उस समय हम अपना ‘सम्मान’ खो रहे होते है…
अपनी खुशियों की
अपनी खुशियों की चाबी किसी को न देना… लोग अक्सर दूसरों का सामान खो देते हैं…
माला की तारीफ़
माला की तारीफ़ तो करते हैं सब, क्योंकि मोती सबको दिखाई देते हैं.. काबिले तारीफ़ धागा है जनाब जिसने सब को जोड़ रखा है.
शौक से तोड़ो दिल
शौक से तोड़ो दिल मेरा मुझे क्या परवाह, तुम ही तो रहते हो इसमे, अपना ही घर ऊजाड़ोगे”.
मुद्दत के बाद
मुद्दत के बाद उसने जो आवाज़ दी मुझे, कदमों की क्या बिसात थी, सांसें ठहर गयीं…!!!
हमारा हक तो
हमारा हक तो नही है फिर भी हम तुमसे कहते हैं, हमारी जिँदगी ले लो मगर उदास मत रहा करो..
वक़्त लगा था
वक़्त लगा था..पर संभल गया… क्यों कि…. मैं ठोकरों से गिरा था किसी की नज़रों से नहीं…!!
ऐ खुदा इश्क़
ऐ खुदा इश्क़ में दोनों को मुकम्मल कर दे उसे दीवाना बना दे….. मुझे पागल कर दे
जिदंगी में कभी
जिदंगी में कभी किसी बुरे दिन से रूबरू हो जाओ, तो इतना हौंसला जरुर रखना की दिन बुरा था जिंदगी नहीं…!!!