बराबर उसके कद के यों मेरा कद हो नहीं सकता वो तुलसी हो नहीं सकता मैं बरगद हो नहीं सकता
Category: वक़्त शायरी
मोहब्बत करने वालों को
मोहब्बत करने वालों को वक़्त कहाँ जो गम लिखेंगे, ए दोस्तों कलम इधर लाओ इन बेवफ़ाओं के बारे में हम लिखेंगे…..
कौन कहता है
कौन कहता है दुआओ के लिए हाथो की जरुरत होती है कभी अपनी माँ की आँखों में झांक करके देखिये हुज़ूर
वो अनजान चला है
वो अनजान चला है, जन्नत को पाऩे के खातिर, बेखबर को इत्तला कर दो कि माँ-बाप घर पर ही है..
देख कर उसको
देख कर उसको तेरा यूँ पलट जाना,….. नफरत बता रही है तूने मोहब्बत गज़ब की थी.
सूखे पत्तो की तरह
सूखे पत्तो की तरह बिखरा हुआ था मै,, किसी ने बड़े प्यार से समेटा, और फिर आग लगा दी..!
तुमने कहा भुल जाओ
तुमने कहा भुल जाओ मुझे… हम पुछते है कोन हो तुम…
सुनो.. ना किया करो
सुनो.. ना किया करो इतनी मोहब्बत हमसे.. कि मुझे खुद की फ़िक्र करने की आदत पड़ जाये..
गलतफहमियों के सिलसिले
गलतफहमियों के सिलसिले आज इतने दिलचस्प हैं, कि हर ईंट सोचती है, दीवार मुझ पर टिकी है….
हार जाउँगा मुकदमा
हार जाउँगा मुकदमा उस अदालत में, ये मुझे यकीन था,जहाँ वक्त बन बैठा जज और नसीब मेरा वकील था….!!!