लहजा शिकायत का था मगर…. सारी महफिल समझ गई “मामला मोहब्बत का है”
Category: वक़्त शायरी
आज वो मशहूर हुए
आज वो मशहूर हुए, जो कभी काबिल ना थे.. मंज़िलें उनको मिली, जो दौड़ में शामिल ना थे.!!
मुकम्मल इश्क की
मुकम्मल इश्क की तलबगार नहीं हैं आँखें… थोडा-थोडा ही सही.. तेरे दीदार की चाहत है…
अब ना करूँगा
अब ना करूँगा अपने दर्द को बयाँ किसीके सामने, दर्द जब मुझको ही सहना है तो तमाशा क्यूँ करना !!
तू बात करने का मौका
तू बात करने का मौका तो दे तेरी कसम, रूला दूंगा तुजे तेरी ही गलतियाँ गिनाते गिनाते…
रात भर तारीफ मैँने की
रात भर तारीफ मैँने की तुम्हारी चाँद इतना जल गया सुनकर कि सूरज हो गया…..!!
उसे देखता ही
वो शायद किसी महंगे खिलौने सी थी… मैं बेबस बच्चे सा उसे देखता ही रह गया…
मौसम का इशारा है
मौसम का इशारा है खुश रहने दो बच्चों को मासूम मोहब्बत है फूलों कि खताओं में…
प्यार आज भी
प्यार आज भी तुझसे उतना ही है.. बस तुझे “एहसास” नही और हमने भी जताना छोड दिया…
कल बहस छिड़ी थी
कल बहस छिड़ी थी मयखाने में जाम कौन सा बेहतरीन है, हमने तेरे होंठों का ज़िक्र किया और बहस ख़त्म हो गयी…