हमारे बाद अंधेरा रहेगा महफ़िल में बहुत चराग़ जलाओगे रौशनी के लिए
Category: वक़्त शायरी
तुमको दे दी है
तुमको दे दी है इशारों में इजाज़त मैंने…. मांगने से ना मिलूं तो चुरा लो मुझको….
मुझे शायद सूरत देखकर
मुझे शायद सूरत देखकर ही प्यार करना था दिल देख के प्यार करने का नतीजा भुगत लिया मैने !!
आज यह दीवार
आज यह दीवार, परदों की तरह हिलने लगी…. शर्त थी लेकिन कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए…
खामोशियाँ ही बेहतर हैँ
खामोशियाँ ही बेहतर हैँ जिन्दगी के सफर मेँ….. शब्दों की मार नेँ कई घर तबाह किये हैँ…..
सोचता हूँ गिरा दूँ
सोचता हूँ गिरा दूँ सभी रिश्तों के खंडहर , इन मकानो से किराया भी नहीं आता है ….!!
जब उस की ज़ुल्फ़ में
जब उस की ज़ुल्फ़ में पहला सफ़ेद बाल आया तब उस को पहली मुलाक़ात का ख़याल आया…
नया कुछ भी नहीं
नया कुछ भी नहीं हमदम, वही आलम पुराना है; तुम्हीं को भुलाने की कोशिशें, तुम्हीं को याद आना है…
एक तो उसकी पाजेब
एक तो उसकी पाजेब भी जानलेवा थी ऊपर से ज़ालिम ने पैरों में मेहन्दी रचाई है
दर्द की भी अपनी ही
दर्द की भी अपनी ही एक अदा है..वो भी सिर्फ सहने वालों पर ही फिदा है..