अजीब अदा है

अजीब अदा है यार लोगों की नज़रें भी हम पर है और नाराज़गी भी हमसे ही

ना मुमकिन है

ना मुमकिन है इसको समझना, दिल का अपना ही मिज़ाज़ होता है..!!

किस्मत बुरी या मैं

किस्मत बुरी या मैं बुरा, ये फैसला ना हो सका; मैं हर किसी का हो गया, कोई मेरा ना हो सका!

तुम्हारा जिक्र हूआ

तुम्हारा जिक्र हूआ तो महफिल तक छोड़ आए हम गैरो के लबों पर हमें तो तुम्हारा नाम तक अच्छा नही लगता !!

शीशे में डूब

शीशे में डूब कर पीते रहे उस जाम को कोशिशें की बहुत मगर भुला न पाए एक नाम को…

सङक पर निकल आता

मैं अक्सर रात में यूं ही सङक पर निकल आता हूँ यह सोचकर.. कि कहीं चांद को तन्हाई का अहसास न हो …

जरूरी नहीं

आज का ज्ञान अगर कोई दस बजे उठे… तो जरूरी नहीं कि वो… ‘आलसी’ हो………. हो सकता है उसके ‘सपने’ बड़े हों…!!

तुम्हारे बगैर ये वक़्त

तुम्हारे बगैर ये वक़्त, ये दिन और ये रात जान मेरी… गुजर तो जाते हैं मगर, गुजारे नहीं जाते…

ज़िंदगी ज़िंदा-दिली का है नाम

ज़िंदगी ज़िंदा-दिली का है नाम…… , , मुर्दा-दिल क्या ख़ाक जिया करते हैं…. ………….

अगर तुम्हें खुशियाँ

अगर तुम्हें खुशियाँ मिलने लगें तो, तीन चीज़ मत भूलना..,..”अल्लाह को”, उसकी “मखलूक को”, और “अपनी औकात” को..!!

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