पसंद करने लगे हैं

कुछ लोग पसंद करने लगे हैं अल्फाज मेरे; मतलब मोहब्बत में बरबाद और भी हुए हैं।

ज़ख़्म इतने गहरे हैं

ज़ख़्म इतने गहरे हैं इज़हार क्या करें; हम खुद निशाना बन गए वार क्या करें; मर गए हम मगर खुली रही ये आँखें; अब इससे ज्यादा उनका इंतज़ार क्या करें।

समय की कीमत

समय की कीमत पेपर से पूछो जो सुबह चाय के साथ होता है, वही रात् को रद्दी हो जाता है” इसलिए, ज़िन्दगी मे जो भी हासिल करना हो… उसे वक्त पर हासिल करो….. क्योंकि, ज़िन्दगी मौके कम और धोखे ज्यादा देती है…

भुला नही सकता…!

मुझे अपने किरदार पे इतना तो यकिन है, कोई मुझे छोड तो सकता है मगर भुला नही सकता…!

तुम मुझे भुलाओगे

कभी खामोश बैठोगे कभी कुछ गुनगुनाओगे, मै उतना याद आउगाँ जितना तुम मुझे भुलाओगे

मज़ा लेते हैं

कैसे करुं भरोसा, गैरों के प्यार पर… अपने ही मज़ा लेते हैं, अपनों की हार पर..!

तुझे भूलने लगे

तेरी तस्वीर पे जमी धूल है गवाह इस बात की, हम भी तुझे भूलने लगे हैं ज़रा ज़रा …!!

दिल पे हाथ रख

तू मेरे दिल पे हाथ रख के तो देख, मैं वही दिल, तेरे हाथ पे दिल ना रख दूँ तो कहना….!!

जितना क़रीब था..

मिलना था इत्तेफ़ाक़, बिछरना नसीब था…वो इतना दूर हो गया जितना क़रीब था..

जवाब नहीं होते…

मत पूछ रात भर जागने की वजह अये दिल ए नादान, मोहब्बत में कुछ सवालों के जवाब नहीं होते…

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