है याद मुलाक़ात की वो शाम अब तक, मैं तुझको भूलने में हूँ नाक़ाम अब तक…!
Category: व्यंग्य शायरी
मौत का गवाह हूँ
बेतरतीब बेमकसद बेपरवाह हूँ पिछली सदी की मौत का गवाह हूँ
फ़िक्र रहती है
एक काम करो… इस दिल को तुम ही रख लो, बड़ी फ़िक्र रहती है इसे तुम्हारी..!!
लगता है वो
उल्फ़त, मोहब्बत, वफ़ा, अफ़साने, अश्क। लगता है वो आयी थी जिंदगी में सिर्फ ऊर्दू सिखाने।
यादों की संदूक
तेरी यादों की संदूक में ….. मैं दबा पड़ा हूँ किसी पुराने खत की तरह !!
Usoolo pe aanch
Usoolo pe aanch aaye….Toh takrana zaruri hai…. Zinda hai Toh… Zinda nazar aata zaruri hai..
इन धुंधली यादो
मेरी इन धुंधली यादो …. इन बिखरे आँसूओ मैं ही सही … पर तुम आज भी मौजूद हो मुझमे …..
जिसको तलब हो
जिसको तलब हो हमारी,वो लगा ले बोली.. सौदा बुरा नही बस “हालात” अच्छे नही है.. !!
अगर उसे समझना है
हर “इंसान” अपनी “जुबां” के “पीछे” “छुपा” हुआ है अगर उसे “समझना” है तो उसे “बोलने” दो!
आखों में आंसू
एक बुढा व्यक्ति अपना मोबाईल लेकर रिपेयरिंग की दुकान पर गया और दिखाया. रिपेयरिंग वाले ने कहा: यह बिलकुल ठीक काम कर रहा है वृद्ध की आखों में आंसू आ गये बोला : फिर इसमें मेरे बच्चो के फोन क्यों नही आते?