उस ज़ुल्फ़ के फंदे से निकलना नहीं मुमकिन हाँ माँग कोई राह निकाले तो निकाले|
Category: व्यंग्य शायरी
मिट जाए गुनाह्
मिट जाए गुनाह् का आलम ही जहां से, अगर पुख़्ता यकीन हो के रब देख रहा है…॥
इश्क का होना
इश्क का होना भी लाजमी है शायरी के लिये,,,, कलम लिखती तो आज हर लिपिक ग़ालिब होता …..
आशिको का शहर
ये आशिको का शहर हैं,, जनाब..! यहाँ सवेरा सूरज से नहीँ किसी के दीदार से होता हैं..
विपत्ति का जीवन
विपत्ति का जीवन मे आना । “पार्ट ओफ लाइफ” है।और और उस विपत्ति में मुस्कुरा कर शांति से बाहर निकलना।
टुकड़े टुकड़े होकर
उनकी नफरत भरी नज़रों के तीर तो बस हमारी जान लेने का बहाना था दिल हमारा टुकड़े टुकड़े होकर बिखर गया पूरी महफ़िल बोली वाह ! क्या निशाना था
अच्छे लोग खामोश है।
ये दुनिया इसलिए बुरी नही के यहाँ बुरे लोग ज्यादा है। बल्कि इसलिए बुरी है कि यहाँ अच्छे लोग खामोश है।।
मुझे मालूम है
मुझे मालूम है कुछ रास्ते कभी मंजिल तक नहीं जाते फिर भी मैं चलता रहता हू क्यूँ कि उस राह में कुछ अपनों के घर भी आते है …!!
आइना है ये जिंदगी
आइना है ये जिंदगी मेरे दोस्त ! तू मुस्कुरा जिंदगी भी मुस्कुरा देगी|
बादशाह तब बनुगाँ
शायरी का बादशाह तब बनुगाँ मैं जिसके लिए लिखता हुँ वो शक्स खुद आकर कहे:- ” वा शायर बापु गजब”