थोड़ा बचा हूँ

थोड़ा बचा हूँ, बाकि हिसाब हो चुका है.. बहुत कुछ है, जो मुझमें राख़ हो चुका है..

वो जग़ह मुझे

वो जग़ह मुझे अब भी अज़ीज़ है.. जहाँ मुझे उजाड़ कर बस गए हैं लोग कई..

सोते हुए भी

सोते हुए भी तेरा ज़िक्र करते हैँ……..! मेरे होठ भी तेरी फिक्र करते हैँ……

आँख का आंसू

आँख का आंसू ना हमसे बच सका , … घर के सामान की हिफाजत क्या करें….

ज़िन्दगी तस्वीर भी है

ज़िन्दगी तस्वीर भी है और तकदीर भी! फर्क तो रंगों का है! मनचाहे रंगों से बने तो तस्वीर; और अनजाने रंगों से बने तो तकदीर!!

या तो हमें मुकम्मल

या तो हमें मुकम्मल, चालाकियां सिखाई जाएं; नहीं तो मासूमों की, अलग बस्तियां बसाई जाएं!

कुछ तो हम ख़ुद भी

कुछ तो हम ख़ुद भी नहीं चाहते शौहरत अपनी,और कुछ लोग भी ऐसा नहीं होने देते…!!

कभी जी भर के

कभी जी भर के बरसना… कभी बूंद बूंद के लिए तरसना… ऐ बारिश तेरी आदतें मेरे यार जैसी है…!!

इंतज़ार की आरज़ू

इंतज़ार की आरज़ू अब खो गयी है, खामोशियो की आदत हो गयी है, न शिकवा रहा न शिकायत किसी से, अगर है… तो एक मोहब्बत, जो इन तन्हाइयों से हो गई है ।

रोशनी बहुत दूर तक

रोशनी बहुत दूर तक जाएगी मेरी, शर्त ये है कि सलीक़े से जलाओ मुझको……

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