हमारा तजरबा हमको सबक़ ये भी सिखाता है कि जो मक्खन लगाता है वो ही चूना लगाता है|
Category: मौसम शायरी
दर्द बनकर ही
दर्द बनकर ही रह जाओ हमारे साथ … सुना है दर्द बहुत वक़्त तक साथ रहता है।
दुनिया जिसे कहते हैं
दुनिया जिसे कहते हैं जादू का खिलौना है मिल जाए तो मिट्टी है खो जाए तो सोना है
फिर कभी नहीं हो सकती
फिर कभी नहीं हो सकती मुहब्बत सुना तुमने वो शख्स भी एक था और मेरा दिल भी एक ।
झूठ बोलना अच्छा है…
झूठ बोलना अच्छा है… यह बात कल मुझे सच ने रोकर बताई….
तू कितनी रंगीन क्युं न हो
: तू कितनी रंगीन क्युं न हो ए जिन्दगी… काले पीले दोस्तों के बगैर अच्छी नहीं लगती ….
सोचो तो क्या लम्हा
सोचो तो क्या लम्हा होगा, बारिश……छतरी…तुम…और मैं…..!!!!
कभी कभार की
कभी कभार की मुलाक़ात ही अच्छी है, कद्र खो देता है रोज रोज का आना जाना !!
मेरे वजूद को
मेरे वजूद को दामन से झाड़ने वाले नासमझ, जो तेरी आखिरी मंजिल है वो ही मिट्टी हूँ मैं…
अब मज़ा आने लगा है
अब मज़ा आने लगा है तीरों को देखकर । दुआ है तेरे तरकश में तीर कभी कम न हों ।