सुब्ह सवेरे कौन सी

सुब्ह सवेरे कौन सी सूरत फुलवारी में आई है डाली डाली झूम उठी है कली कली लहराई है ।

तू मुझे हकीकत में

कैसी शिकायत कैसा गिला, एक ख्वाब सा तू मुझे हकीकत में मिला

जिंदगी में आज भी

कुछ करना है, तो डटकर चल, थोड़ा दुनियां से हटकर चल, लीक पर तो सभी चल लेते है, कभी इतिहास को पलटकर चल, बिना काम के मुकाम कैसा ? बिना मेहनत के, दाम कैसा ? जब तक ना हाँसिल हो मंज़िल तो राह में, राही आराम कैसा ? अर्जुन सा, निशाना रख, मन में, ना… Continue reading जिंदगी में आज भी

बड़े अजीब थे

जिन्दगी के हिसाब-किताब भी बड़े अजीब थे…. . .जब तक लोग अजनबी थे…ज्यादा करीब थे..

तुम भी बिखर जाओगे

तुम भी चाहत के समन्दर में उतर जाओगे, खुशनुमा से किसी मंजर पे ठहर जाओगे । मैने यादों में तुम्हें इस तरह पिरोया है, मै जो टूटी तो सनम तुम भी बिखर जाओगे ॥

तुम ही हो

लिख दूं तो लफ्ज़ तुम हो सोच लूं तो ख़याल तुम हो मांग लूं तो मन्नत तुम हो चाह लूं तो मुहब्बत भी तुम ही हो..

तुझसे अच्छा तो

तुम क्या जानो लाजवाब कर देतें हैं…तेरे खयाल…दिल को, मोहब्बत…तुझसे अच्छा तो ..तेरा तसव्वुर हैं..!!

अपनी वफ़ाओं का

हम ने कब माँगा है तुम से अपनी वफ़ाओं का सिला बस दर्द देते रहा करो “मोहब्बत” बढ़ती जाएगी

नज़र आने लगी है।

देख ले आकर…. ये मोहब्बत किस क़दर… असर दिखाने लगी है… ज़िस्म की दरारों से…. रूह भी नज़र आने लगी है।

उस के लिये

जिस्म उसका भी मिट्टी का है मेरी तरह….! ‘ए खुदा’ फिर क्यू सिर्फ मेरा ही दिल तडफता है उस के लिये…!

Exit mobile version