ए जिंदगी तेरे जज्बे को सलाम.. पता है मंज़िल मौत है फिर भी दौड़ रही है..
Category: मौसम शायरी
अर्थ लापता हैं
अर्थ लापता हैं…या फिर शायद…लफ्ज़ खो गए हैं, रह जाती है…मेरी हर बात क्यूँ, इरशाद होते होते…..
समझा जिसे सिर्फ
समझा जिसे सिर्फ इक दिल का सौदा, वो इश्क़ तो पूरा कारोबार निकला ।।
लाजमी नही है की
लाजमी नही है की हर किसी को मौत ही छूकर निकले किसी किसी को छूकर जिंदगी भी निकल जाती है !!!!
कोई बदल दो
कोई बदल दो वफ़ा के सिक्के मेरे.. सुना है इस दौर में ये सब नही चलते ।।
लफ़्ज़ों की तक्कल्लुफ़
चंद लफ़्ज़ों की तक्कल्लुफ़ में ये इश्क़ रुक गया…. वो इंतज़ार पे रुके रहे और मैं इक़रार पे रुक गया ।।
एक तज़ुर्बा है
हर एक लकीर एक तज़ुर्बा है जनाब .. .. झुर्रियाँ चेहरों पर यूँ ही आया नहीं करती !!
दो उंगलिया जुडने से
कितने खुबसूरत हुआ करते थे बचपन के वो दिन… के सिर्फ दो उंगलिया जुडने से दोस्ती फिर शुरू हो जाती थी|
मैं क्या मिसाल दूँ
अब अपने शख्सियत की भला मैं क्या मिसाल दूँ यारों, न जाने कितने लोग मशहूर हो गये मुझे बदनाम करते करते !
कहां तलाश करोगे
कहां तलाश करोगे तुम दिल हमारे जैसा, जो तुम्हारी बेरूखी भी सहे ओर प्यार भी करे !