एक उम्र के बाद

एक उम्र के बाद उस उम्र की बातें, उम्र भर याद आती है…

अपनी कमजोरियो का

अपनी कमजोरियो का जिक्र कभी न करना जमाने से. लोग कटी पतंगो को जम कर लुटा करते है !!

ये कहकर वो दिल में

ये कहकर वो दिल में आग लगाये जाते हैं कि….चिराग़ ख़ुद नही जलते जलाये जाते हैं…!!

मैं ठहर गया

मैं ठहर गया वो गुज़र गयी, वो क्या गुज़री सब ठहर गया…!!!

बहुत अजीब हैं

बहुत अजीब हैं ये कुर्बतों की दूरी भी, वो मेरे साथ रहा पर मुझे कभी न मिला…

होगी जरूर फूंक की

होगी जरूर फूंक की भी कुछ कीमत, वरना, बांसुरी तो बहुत सस्ती मिलती है …।।

जब किसी की कमियां

जब किसी की कमियां भी अच्छी लगने लगे ना तो मान ही लीजिये ये दिल दगाबाजी कर गया…

यूँ उम्र कटी

यूँ उम्र कटी दो अल्फ़ाज़ में… एक ‘काश’ में एक ‘आस’ में…

मैंने तो माँगा था

मैंने तो माँगा था थोड़ा सा उजाला अपनी जिंदगी में , वाह रे चाहने वाले तूने तो आग ही लगा दी जिंदगी में !!

मैं कोशिश करता हुँ

मैं कोशिश करता हुँ कि पूरे दिन काम कर के इतना थक जाऊँ.. की बिस्तर पर जातें हीं नींद आ जाए ना की तेरी याद…

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