ज़िन्दगी भर के, इम्तिहान के बाद… वो नतीजे में, किसी और के निकले!!!
Category: बेवफा शायरी
तेरी तस्वीर को
तेरी तस्वीर को सीने से लगा रखा है , हमने दुनिया से अलग गांव बस रखा है|
दिन छोटे और रातें लंबी
दिन छोटे और रातें लंबी हो चली है, मौसम ने यादों का और वक़्त बढ़ा दिया..
कलम गई हड़ताल पे
कलम गई हड़ताल पे, सोच गई वनवास। कैसे क्या किससे लिखूँ, क्या है मेरे पास।।
मोटी रकम में
मोटी रकम में बिक रहा हूँ जो नहीं हूँ वो दिख रहा हूँ, कलम पे है दबाव भारी कि नायाब कविता लिख रहा हूँ।
मेरी शाम-ए-ग़म
मेरी शाम-ए-ग़म को वो बहला रहे हैं, लिखा है ये ख़त में कि हम आ रहे हैं…
तुम्हारी बज्म में
तुम्हारी बज्म में हम खुद संभल जाते यह मुश्किल था, तुम्ही बेताब करते थे, तुम्ही फिर थाम लेते थे।
मिली है अगर
मिली है अगर जिंदगी तो मिसाल बन कर दिखाइये… वर्ना इतिहास के पन्ने आजकल रिश्वत देकर भी छपते है|
बड़ा अज़ब सा
बड़ा अज़ब सा हमने इक दूजे को बाँटा था मैं उसके पास कम, वो मेरे हिस्से ज्यादा था
रुख पे बिखरी हैं
रुख पे बिखरी हैं ज़ुल्फें संभालो .. चाँद बदली में दिखता नहीं है ..!!