आज भी मुझसे कहते है

कितने ऐबों से छुपा रखा है मेरे “रब” ने मुझे. लोग आज भी मुझसे कहते है, “हमारे लिए दुआ करना|

देख के याद आया

कल तुझे देख के याद आया हम भी कभी तेरे हुआ करते थे|

उसूलों पर अगर आ जाये

उसूलों पर अगर आ जाये, तो टकराना जरुरी है! जिन्दा हो तो जिन्दा नज़र आना जरुरी है।

धूप बर्दाश्त करना सीख़ लो

अब ये धूप बर्दाश्त करना सीख़ लो .. अब वो जुल्फे गैर हवाओं में लहराने लगी है..

तुम रख ही ना सकीं

तुम रख ही ना सकीं मेरा तोफहा सम्भालकर मैंने दी थी तुम्हे,जिस्म से रूह निकालकर|

फासलों से अगर

फासलों से अगर.. मुस्कुराहट लौट आये तुम्हारी… तो तुम्हे हक़ है.. कि तुम… दूरियां बना लो मुझसे….

आंखें भी खोलनी पड़ती हैं

आंखें भी खोलनी पड़ती हैं उजाले के लिए… सूरज के निकलने से ही अँधेरा नहीं जाता….

तुम्हारे वक्त से है

मेरी नाराज़गी तुमसे नहीं, तुम्हारे वक्त से है, जो तुम्हारे पास मेरे लिए नहीं है..

अपनों के बीच

अपनों के बीच, गैरो की याद नहीं आती। और गैरो के बीच, कुछ अपने याद आते हैं।

याद कयामत की तरह है

मेरी याद कयामत की तरह है.. याद रखना..आएगी जरूर..

Exit mobile version