किस्मतवालों को ही मिलती है पनाह दोस्तों के दिल मे…. यूँ ही हर शख्स तो जन्नत का हक़दार नहीं होता….
Category: दर्द शायरी
आग लगी थी
आग लगी थी मेरे घर को, किसी सच्चे दोस्त ने पूछा..! क्या बचा है ? मैने कहा मैं बच गया हूँ..! उसने हँस कर कहा फिर साले जला ही क्या है..
अधूरे हो जाते हैं
मुक़म्मल होने की ख़्वाहिश में हम…!… और भी ज़्यादा अधूरे हो जाते हैं…!!
सोचा तो नहीं था
ऐसा कोई जिंदगी से वादा तो नहीं था तेरे बिना जीने का इरादा तो नहीं था तेरे लिये रातो में चाँदनी उगाई थी क्यारियों में खुशबू की रोशनी लगाई थी जाने कहाँ टूटी है डोर मेरे ख्वाब की ख्वाब से जागेंगे सोचा तो नहीँ था शामियाने शामो के रोज ही सजाएं थे कितनी उम्मीदों के… Continue reading सोचा तो नहीं था
कहाँ छुपा के
कहाँ छुपा के रख दूँ मैं अपने हिस्से की शराफत ! जिधर भी देखता हूँ !! उधर बेईमान खड़े हैं !
अभी तो तड़प
अभी तो तड़प-तड़प के दिन के उजालों से निकला हू… . न जाने रात के अँधेरे और कितना रुलायेंगे.
बहुत मासूम हसरत
बहुत मासूम हसरत है बताओ क्या किया जाए, मुझे तुम से मोहब्बत है बताओ क्या किया जाए
मुझे भी ज़िन्दगी
मुझे भी ज़िन्दगी में तुम ज़रूरी मत समझ लेना.. सुना है तुम ज़रूरी काम अक्सर भूल जाते हो..
रोज हर मोड़ पर
रोज हर मोड़ पर तु मुझे मिल जाती है. ऐ उदासी, कहीं तु भी मेरी दीवानी तो नही है.
तुम जरा हाथ
तुम जरा हाथ मेरा थाम के देखो तो सही लोग जल जाएंगे महफ़िल में चिरोगों की तरह