वो पसंद ही क्या …… जिसको पसंद आने के लिए खुद को बदलना पड़े…
Category: गुस्ताखियां शायरी
जलेबी की तरह
जब जलेबी की तरह उलझ ही रही है तू ऐ जिंदगी,… ..तो फिर क्यों न तुझे चाशनी मे डुबाकर मजा ले ही लिया जाए
उन्हीं की थालियों से
रोटियां उन्हीं की थालियों से कूड़े तक जाती है… जिन्हें एहसास नही होता …. भूख है क्या !
सूकून इस बात का
बच्चे झगड़ रहे थे मोहल्ले के जाने किस बात पर, सूकून इस बात का था न मंदिर का ज़िक्र था न मस्जिद का
अपने लिए अजनबी हूँ
मैं खुद भी अपने लिए अजनबी हूँ … मुझे गैर कहने वाले तेरी बात मे दम है…
जिदंगी में कभी
जिदंगी में कभी किसी बुरे दिन से रूबरू हो जाओ, तो इतना हौंसला जरुर रखना की दिन बुरा था जिंदगी नहीं…!!!
हकीकत से बहुत दूर है
हकीकत से बहुत दूर है ख्वाहिश मेरी… फिर भी एक ख्वाहिश है,कि एक ख्वाब मेरा हकीकत हो जाए
हो सके तो अब के
हो सके तो अब के कोई सौदा न करना, मैं पिछली मोहब्बत में सब हार आया हूँ.
ऐ खुदा इश्क़
ऐ खुदा इश्क़ में दोनों को मुकम्मल कर दे उसे दीवाना बना दे….. मुझे पागल कर दे
जिस समय हम
जिस समय हम किसी का ‘अपमान ‘ कर रहे होते हैं, दरअसल, उस समय हम अपना ‘सम्मान’ खो रहे होते है…