क़ैद ख़ानें हैं

क़ैद ख़ानें हैं , बिन सलाख़ों के…कुछ यूँ चर्चें हैं , तुम्हारी आँखों के…

तुझे अपनी खूबसूरती पर

तुझे अपनी खूबसूरती पर इतना गुरूर क्यों है . लगता है तेरा आधार कार्ड अभी तक बना नही

सख़्त हाथों से

सख़्त हाथों से भी छूट जाते हैं हाथ…. रिश्ते ज़ोर से नहीं तमीज़ से थामे जाते हैं ।

क्या करना करेडों का

क्या करना करेडों का, जब अरबो का बापू साथ है ।

पापा आपके नाम से

पापा आपके नाम से ही जाना जाता हूँ इस तरह से कोई शायरी है कृपया भेजें|

आवाज़ बर्तनों की

आवाज़ बर्तनों की घर में दबी रहे, बाहर जो सुनने वाले हैं, शैतान हैं बहुत….

ऐसी भी अदालत है

ऐसी भी अदालत है जो रूह परखती है, महदूद नहीं रहती वो सिर्फ़ बयानों तक

प्यार की फितरत भी

प्यार की फितरत भी अजीब है यारा.. बस जो रुलाता है उसी के गले लग कर रोने को दिल चाहता है

सहम उठते हैं

सहम उठते हैं कच्चे मकान पानी के खौफ़ से, महलों की आरजू ये है कि बरसात तेज हो।

मोहब्बत का कफ़न दे

मोहब्बत का कफ़न दे दो तो शायद फिर जनम ले ले !! अभी इंसानियत की लाश चौराहे पे रक्खी है !!

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