Log rone ke liye kandha nahi dete, Marne tak intezaar karte hai॥
Category: हिंदी शायरी
हिसाब रहता है
फिर कहाँ का हिसाब रहता है ,., इश्क़ जब बेहिसाब हो जाये ,.,!!
तूने पलट के देख
यही बहुत है तूने पलट के देख लिया, ये लुत्फ़ भी मेरे अरमान से ज्यादा है.
वजह ना पूछो तो
अगर तुम वजह ना पूछो तो एक बात कहूँ!!! बिना याद किये तुम्हें अब रहा नहीं जाता है
कब इंसाफ़ करोगे
मुंसिफ़ हो अगर तुम तो कब इंसाफ़ करोगे मुजरिम हैं अगर हम तो सज़ा क्यूँ नहीं देते
हंसना भी आसान
रोने में इक ख़तरा है, तालाब नदी हो जाते हैं हंसना भी आसान नहीं है, लब ज़ख़्मी हो जाते हैं
ऐसा भी कायदा हो
मुकद्दर की लिखावट का इक ऐसा भी कायदा हो… देर से किस्मत खुलने वालों का दोगुना फायदा हो……
चादर की ज़रूरत
मुफलिस के बदन को भी है चादर की ज़रूरत, अब खुल के मज़ारों पर ये ऐलान किया जाए.. क़तील शिफ़ाई
यह मन्नत की
मांग लूँ यह मन्नत की फिर यही जहाँ मिले….. फिर वही गोद फिर वही माँ मिले….
ऐतबार ना कीजिये
फूल भी दे जाते हैं ज़ख़्म गहरे कभी-कभी… हर फूल पर यूँ ऐतबार ना कीजिये…