लाख तलवारे बढ़ी आती हों गर्दन की तरफ; सर झुकाना नहीं आता तो झुकाए कैसे।
Category: शायरी
इश्क़ और तबियत
इश्क़ और तबियत का कोई भरोसा नहीं, मिजाज़ से दोनों ही दगाबाज़ है, जनाब।
हिम्मत नहीं किसी में
ताकत नहीं मुज में इतनी की छीन लू दुनिया से तुजे , ऐ_सनम पर मेरे दिल से कोई तुझे निकाल दे इतनी हिम्मत नहीं किसी में ।
मजबूत सी जंजीर
कोई मजबूत सी जंजीर भेजो ….. आज फिर तुम्हारी याद पागल हो गयी है
लुटा चुका हूँ
लुटा चुका हूँ बहुत कुछ, अपनी जिंदगी में यारो; मेरे वो ज़ज्बात तो ना लूटो, जो लिखकर बयाँ करता हूँ।
युं तो गलत नही
युं तो गलत नही होते अंदाज चहेरों के; लेकिन लोग… वैसे भी नहीं होते जैसे नजर आते है…!!
रहने दे आसमा
किसी शायर ने खूब कहा है, रहने दे आसमा, ज़मीन की तलाश कर, सब कुछ यही है, कही और न तलाश कर. हर आरज़ू पूरी हो, तो जीने का क्या मज़ा, जीने के लिए बस एक खूबसूरत वजह की तलाश कर, ना तुम दूर जाना ना हम दूर जायेंगे, अपने अपने हिस्से कि दोस्ती निभाएंगे,… Continue reading रहने दे आसमा
खुद को जो
खुद को जो सूरज बताता फिर रहा था रात को दिन में उस जुगनू का अब चेहरा धुआं होने को था
कौन कब किसका हुआ
वो हमारे हो गए ये क्या कम बात है खुद ग़रज़ दुनिया में वरना कौन कब किसका हुआ
फूल की खुशबू
फूल की खुशबू ही तय करती है उसकी कीमतें, क्या कभी तुमने सुना है, खार का सौदा हुआ