एक बार और देखकर आज़ाद करदे मुझे… … के आज भी तेरी पहली नज़र में कैद हूँ मैं ।
Category: शर्म शायरी
अब यादें है
कुछ ख्वाब देखे,फिर ख्वाहिश बनी,अब यादें है…
किसी उदास मौसम
किसी उदास मौसम में, मेरी आँखों पे वो हाथ रख दे अपना, और हसती हुई कह दे, पहचान लो तो हम तुम्हारे ना पहचानो तो तुम हुमारे..
मांग लूंगा तुझे
मैं वहाँ जाकर भी मांग लूंगा तुझे,,, कोई बताये तो फैसले कुदरत के कहाँ होते है..
खुदगर्ज़ बन जा
सुकून से जीने का तरीका, ये भी है लोगों की परवाह छोड़ खुदगर्ज़ बन जा..
Ek Mohbbat Bepanaah
Ek mehboob beparwaah , ek mohbbat bepanaah….. Dono kaafi hain sukoon barbaad karne ko…….
आपको पहचानना पड़ेगा.
“प्रशंसक” आपको बेशक पहचानते होंगे मगर “शुभचिन्तकों” को आपको पहचानना पड़ेगा.
तसल्लियां तो देते हैं
अकेले ही गुज़रती है ज़िन्दगी। लोग तसल्लियां तो देते हैं, पर साथ नहीं।।
अपनी तो यारो
अपनी तो यारो बस इतनी सी कहानी है; कुछ तो खुद से ही बर्बाद थे; कुछ इश्क की मेहरबानी है।
सस्ता न समझ
सस्ता न समझ ये इश्क़ का सौदा पगली.. तेरी हँसी के बदले पूरी जिंदगी दे रहा हूँ..!”