इंतज़ार करते करते

इंतज़ार करते करते वक़्त क्यों गुजरता नहीं! सब हैं यहाँ मगर कोई अपना नहीं! दूर नहीं पर फिर भी वो पास नहीं! है दिल में कहीं पर आँखों से दूर कहीं!

दीदार के लिए

किसी और के दीदार के लिए उठती नहीं ये आँखे, बेईमान आँखों में थोड़ी सी शराफ़त आज भी है !!

बरबाद कर देती है

बरबाद कर देती है मोहब्बत हर मोहब्बत करने वाले को क्यूकि इश्क़ हार नही मानता और दिल बात नही मानता..!!

तुम ही तुम दिखते हो

तुम ही तुम दिखते हो हमें कुछ हुआ तो जरूर है, ये आइनें की भूल है या मस्त निगाहों का कसूर है !!

इतने चेहरे थे

इतने चेहरे थे उसके चेहरे पर, आईना तंग आ के टूट गया…..

मैं शिकायत क्यों करूँ

मैं शिकायत क्यों करूँ, ये तो क़िस्मत की बात है..!! तेरी सोच में भी मैं नहीं, मुझे लफ्ज़ लफ्ज़ तू याद हैं.

मेरी आवारगी में

मेरी आवारगी में कुछ क़सूर अब तुम्हारा भी है, जब तुम्हारी याद आती है तो घर अच्छा नहीं लगता।

कागज पे तो

कागज पे तो अदालत चलती है, हमें तो तेरी आँखो के फैसले मंजूर है..!!

वक़्त बदला तो

वक़्त बदला तो बदल गये वो लोग, जो महफ़िलो में सबसे अज़ीज़ आशना थे.!!

है हमसफर मेरा तू..

है हमसफर मेरा तू.. अब…मंझिल-ऐ-जुस्तजू क्या…?? खुद ही कायनात हूँ… अब….अरमान-ऐ-अंजुमन क्या…

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