मेंने तुझसे कब माँगा, अपनी वफाओ का सिला… तूम बस दर्द देते जाओ , मोहब्बत बढती जाएगी…
Category: वक़्त शायरी
मुफ़लिसी हालात में
मुफ़लिसी हालात में रहते वक्त बड़ी हिमाक़त से गुजरा आज वही लोग प्यार से पास बिठाकर मान करते मेरा
इश्क़ है तो
दोस्तो कह दो लड़कियो से इश्क़ है तो शक कैसा..? अगर नहीं है तो फिर हमारा हक़ कैसा….?
देखने का नजरिया
देखने का नजरिया सही होना चाहिए, ठीक वैसे ही जैसे स्कूल की पहली घंटी से नफरत होती है पर वही घंटी जब दिन की आखरी हो तो सबसे प्यारी लगती है…
जीत नहीं सकते
जीवन में हर जगह हम जीत चाहते हैं सिर्फ फूलवाले की दूकान ऐसी है, जहाँ हम कहते हैं कि हार चाहिए क्यों कि हम भगवान से जीत नहीं सकते.
रुलाने मेँ अक्सर
रुलाने मेँ अक्सर उन्हीँ का हाथ होता है जो …कहते… हैँ तुम हँसते हुए अच्छे लगते हो_____!!
इजहार करना नहीं आता
चलो माना की हमें प्यार का इजहार करना नहीं आता, जज़्बात ना समझ सको इतने नादान तो तुम भी नहीं.
तेरे काफ़िले मेँ
मुझे तेरे काफ़िले मेँ चलने का कोई शौक नहीँ. मगर तेरे साथ कोई और चले मुझे अच्छा नहीँ लगता
खाने पे टूट पड़े
खाने पे टूट पड़े सब , क्या ख़ास – क्या आम …. चालीसवा था जिसका,वो भुखमरी से मर गया …
उधार सा है…
कोई तो सूद चुकाये, कोई तो जिम्मा ले… उस इंकलाब का जो आज तक उधार सा है…