सिर्फ रिश्ते टूटा करते हैं साहब, मुझे तो उनसे इश्क़ हुआ है..
Category: वक़्त शायरी
लहू बेच-बेच कर
लहू बेच-बेच कर जिसने परिवार को पाला, वो भूखा सो गया जब बच्चे कमाने वाले हो गए…!!
मोहब्बत बढ़ती जायेगी।
हमने कब माँगा है तुमसे वफाओं का सिलसिला; बस दर्द देते रहा करो, मोहब्बत बढ़ती जायेगी।
लोग मुन्तजिर थे
लोग मुन्तजिर थे, मुझे टूटता हुआ देखने के, और एक मैं था, कि ठोकरें खा खा कर पत्थर का हो गया
तुम्हारी शातिर नजरे
तुम्हारी शातिर नजरे कत्ल करने में माहिर हैं, . . . तो सुन लो. हम भी मर-मर कर जीने में उस्ताद हो गये है।
ख्याल आजाद होते
ख्याल आजाद होते है… पंख तो इच्छाओ के होते है।
बहुत खुश हूँ
मुझपे हंसने की ज़माने को सजा दी जाये … मैं बहुत खुश हूँ ये अफवाह उड़ा दी जाये…
दिखावे की मोहब्बत
दिखावे की मोहब्बत तो जमाने को हैं हमसे पर, . . ये दिल, . . तो वहाँ बिकेगा जहाँ ज़ज्बातो की कदर होगी
कद नही बढता
उठा के एडियाँ चलने से कद नही बढता .. मेरे रकीब से कह दो की अपनी हद में रहे…
बात होने वाली हे
सास रुक रुक कर आ रही हे मेरी, कुछ बात होने वाली हे, या बहुत दूर जा चूका हे कोई, या मुलाकात होने वाली हे….