आग पर चलना पड़ा है

आग पर चलना पड़ा है तो कभी पानी पर गोलियां खाई हैं फ़नकारो नै पेशानी पर

खुबसूरती से धोका ना खाईए

खुबसूरती से धोका ना खाईए साहब… तलवार कितनी भी खुबसूरत हो मांगती तो खून हि है…

काग़ज़ी फूल भी

काग़ज़ी फूल भी महकते हैं… कोई देता है जब मोहब्बत से..!!!

मुझे तूं कुछ यूँ चाहिए…..

मुझे तूं कुछ यूँ चाहिए…… जैसे रूह को शुकुन चाहिए.

बदनसीब मैं हूँ

बदनसीब मैं हूँ या तू हैं, ये तो वक़्त ही बतायेगा…बस इतना कहता हूँ,अब कभी लौट कर मत आना…

मौसम की पहली बारिश

मौसम की पहली बारिश का शौक तुम्हें होगा. हम तो रोज किसी की यादो मे भीगें रहते है..!

चाँदी उगने लगी हैं

चाँदी उगने लगी हैं बालों में उम्र तुम पर हसीन लगती है|

ये मुहब्बत की

ये मुहब्बत की तोहीन है… चाँद देखूँ तुम्हें देखकर…

चूम लेता है

चूम लेता है झूठे तमगे जीत के भी हार जाता है मौत तो कई दफा होती है जनाजा मगर एक बार जाता है|

अक्सर वही रिश्ते टूट जाते हैं…

अक्सर वही रिश्ते टूट जाते हैं…. जिसे सम्भालनें की अकेले कोशिश की जाती है…

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