आंसुओं का वजन

आंसुओं का वजन तो कुछ भी नहीं होता.. मगर निकल जाने पे दिल हल्का जरूर हो जाता है…..!!!

शायरी तभी जमती है

शायरी तभी जमती है महफ़िल में जब कुछ पुराने शायर अपना नया तजुर्बा रखते है….

इम्तेहान तेरी तवज्जो का

इम्तेहान तेरी तवज्जो का है अब ऐ शाकी हम तो अब ये भी न बतायेंगे की हम प्यासे हैं

रोज़ आते है

रोज़ आते है बादल अब्र ए रहेमत लेकर…! मेरे शहर के आमाल उन्हे बरसने नही देते..

मोहोबत दिल में

मोहोबत दिल में दोनों के लिए यकसां है कभी हम हाथ में गीता,कभी कुरआन लेते हैं।

तेरे वादों ने हमें घर से

तेरे वादों ने हमें घर से निकलने न दिया, लोग मौसम का मज़ा ले गए बरसातों में|

तुम्हारे बाद क्या रखना

तुम्हारे बाद क्या रखना अना से वास्ता कोई, तुम अपने साथ मेरा उम्र भर का मान ले जाना |

आग पर चलना पड़ा है

आग पर चलना पड़ा है तो कभी पानी पर गोलियां खाई हैं फ़नकारो नै पेशानी पर

खुबसूरती से धोका ना खाईए

खुबसूरती से धोका ना खाईए साहब… तलवार कितनी भी खुबसूरत हो मांगती तो खून हि है…

काग़ज़ी फूल भी

काग़ज़ी फूल भी महकते हैं… कोई देता है जब मोहब्बत से..!!!

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