मेरे बस में

मेरे बस में हो तो लहरों को इतना भी हक न दूं, लिखूं नाम तेरा किनारे पर लहरों को छुने तक ना दूं।

घूम जाने के बिच में

धीरे से इतराना और तेज़ घूम जाने के बिच में, एक लम्हा तुम्हारी आगोश में कँही खो गया है।

खुद से जीतने की जिद है..

खुद से जीतने की जिद है…मुझे खुद को ही हराना है… मै भीड़ नहीं हूँ दुनिया की…मेरे अन्दर एक ज़माना है…

पानी से भरी आँखें

पानी से भरी आँखें लेकर वह मुझे घूरता ही रहा, वह आईने में खड़ा शख्स परेशान बहुत था !!

इसी ख़याल से

इसी ख़याल से पलकों पे रुक गए आँसू… तेरी निगाह को शायद सुबूत-ए-ग़म न मिले..

दिल तुम्हारी तरफ

दिल तुम्हारी तरफ कुछ यूँ झुका सा जाता है.. किसी बेइमान बनिए का तराज़ू हो जैसा..

बख्शे हम भी न गए

बख्शे हम भी न गए, बख्शे तुम भी न जाओगे.. वक्त जानता है, हर चेहरे को बेनकाब करना..

वो मुझे देख कर

वो मुझे देख कर खामोश रहा.. और एक शोर मच गया मुझमें..

मत पहनाओ इन्हें

मत पहनाओ इन्हें मनचाहा लिबास रिश्ते तो बिना श्रृगांर ही अच्छे लगते हैं…

मुजे ऊंचाइयों पर देखकर

मुजे ऊंचाइयों पर देखकर हैरान है बहुत लोग, पर किसी ने मेरे पैरो के छाले नहीं देखे..

Exit mobile version