निभाते नही है..लोग आजकल..! वरना. इंसानियत से बड़ा रिश्ता कौन सा है..
Category: मौसम शायरी
एक अरसा गुजर गया
एक अरसा गुजर गया तुम बिन फिर तेरी यादे क्यों नहीं गुजर जाती इस दिल से
हर शख्श नहीं होता
हर शख्श नहीं होता अपने चेहरे की तरह, हर इंसान की हकिकत उसके लहजे बताते है..
उस को भी हम से
उस को भी हम से मोहब्बत हो ज़रूरी तो नहीं, इश्क़ ही इश्क़ की कीमत हो ज़रूरी तो नहीं।
आजकल के हर आशिक की
आजकल के हर आशिक की अब तो यही कहानी है, मजनू चाहता है लैला को, लैला किसी और की दीवानी है..
हर मर्ज़ का इलाज़
हर मर्ज़ का इलाज़ मिलता था उस बाज़ार में, मोहब्बत का नाम लिया दवाख़ाने बन्द हो गये|
बस तुम्हेँ पाने की तमन्ना
बस तुम्हेँ पाने की तमन्ना नहीँ रही.. मोहब्बत तो आज भी तुमसे बेशुमार करतेँ हैँ.
कह दो कोई उन्हें
कह दो कोई उन्हें कि अपना सारा वक्त दे दें मुझे, जी नहीं भरता मेरा जरा जरा सी मुलाकातों से !
पास बैठे इंसान के लिए
पास बैठे इंसान के लिए वक्त नहीं है…!!! दूर वाले.. आजकल नजदीक बहुत हैं…
हमको क़तरा कहकर
हमको क़तरा कहकर हँसना ठीक नहीं यार समंदर हम भी पानी वाले हैं