मुझे वैसा बना दे

तू वैसी ही है जैसा मैं चाहता हूँ… बस.. मुझे वैसा बना दे जैसा तू चाहती है…..

कभी कभी हम

धीरे धीरे बहुत कुछ बदल रहा है… लोग भी…रिश्ते भी…और कभी कभी हम खुद भी….

इस दौर के

हमने दिया है, लहू उजालों को, हमारा क़र्ज़ है इस दौर के सवेरों पर

सूरज बना चुका हूं

मत दो मुझे खैरात उजालों की…… अब खुद को सूरज बना चुका हूं मैं..

ज़ख्मों को सीने में

हँसी यूँ ही नहीं आई है इस ख़ामोश चेहरे पर….. कई ज़ख्मों को सीने में दबाकर रख दिया हमने !

जमानत मिल गई

हजारो अश्क मेरे आँखो की हिरासत में थे फिर तेरी याद आई और उन्हें जमानत मिल गई

कम कर रहा था

वो उम्र कम कर रहा था मेरी मैं साल अपने बढ़ा रहा था

ख़ुशी मिली थी

कल ख़ुशी मिली थी जल्दी में थी, रुकी नहीं

दिल न दिया होता

इक इश्क़ का ग़म आफ़त और उस पे ये दिल आफ़त या ग़म न दिया होता, या दिल न दिया होता

कोई चाल तो चल

तू मोहब्बत से कोई चाल तो चल…… हार जाने का हौसला है मुझे !

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