जाने क्यूँ आजकल, तुम्हारी कमी अखरती है बहुत यादों के बन्द कमरे में, ज़िन्दगी सिसकती है बहुत पनपने नहीं देता कभी, बेदर्द सी उस ख़्वाहिश को महसूस तुम्हें जो करने की, कोशिश करती है बहुत..
Category: प्रेणास्पद शायरी
पता है जिसको
पता है जिसको मुस्तकबिल हमारा वो अपने आज से अनजान क्यूँ है|
मुझसे मिलने को
मुझसे मिलने को करता था बहाने कितने, अब मेरे बिना गुजारेगा वो जमाने कितने !!
कभी जो लिखना
कभी जो लिखना चाहा तेरा नाम अपने नाम के साथ अपना नाम ही लिख पाये और स्याही बिखर गई…..
बड़ा अजीब सा
बड़ा अजीब सा जहर था, उसकी यादों का, सारी उम्र गुजर गयी, मरते – मरते…….
हम तो पागल हैं
हम तो पागल हैं शौक़-ए-शायरी के नाम पर ही दिल की बात कह जाते हैं और कई इन्सान गीता पर हाथ रख कर भी सच नहीं कह पाते है…
उम्र भर के
उम्र भर के आंसू ज़िन्दगी भर का ग़म, मोहब्बत के बाज़ार में बहुत महंगे बिके हम !!
मुफ्त में नहीं आता
मुफ्त में नहीं आता, यह शायरी का हुनर…. इसके बदले ज़िन्दगी हमसे, हमारी खुशियों का सौदा करती है…!!
अकेले कैसे रहा जाता है
अकेले कैसे रहा जाता है, कुछ लोग यही सिखाने हमारी ज़िन्दगी में आते हैं।।
है कोई वकील
है कोई वकील इस जहान में, जो हारा हुआ इश्क जीता दे मुझको।।